👧 लखनऊ में मासूम बच्ची से “डिजिटल दुराचार”: बच्ची की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
20 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक चार वर्षीय मासूम बच्ची के साथ “डिजिटल दुराचार” की सनसनीखेज घटना सामने आई है। आरोपी कोई और नहीं, बल्कि वही स्कूल वैन ड्राइवर निकला, जो रोज बच्ची को स्कूल छोड़ने और लाने का काम करता था। इस शर्मनाक घटना ने न केवल बच्ची के माता-पिता बल्कि पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है।—
📍 क्या है पूरा मामला?
बच्ची के परिवार वालों ने शिकायत दर्ज कराई कि वैन ड्राइवर ने बच्ची के साथ “डिजिटल रूप से अश्लील हरकतें” कीं, जिसका खुलासा बच्ची की मानसिक स्थिति और व्यवहार में अचानक बदलाव के बाद हुआ। परिजनों को जब संदेह हुआ, तो उन्होंने बच्ची से बात की और फिर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।—
आरोपी
👮 पुलिस की कार्रवाई शिकायत के आधार पर आरोपी ड्राइवर को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया है। लखनऊ पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने डिजिटल फॉरेंसिक जांच के लिए आरोपी का मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त कर लिए हैं।
डीसीपी लखनऊ (ईस्ट) का बयान:“हमने मामले को प्राथमिकता पर लिया है। बच्ची को काउंसलिंग और मेडिकल सहायता दी जा रही है। आरोपी के खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलने पर उसे जल्द कोर्ट में पेश किया जाएगा।”—❓
क्या है ‘डिजिटल दुराचार’?’डिजिटल दुराचार’ का आशय उस कृत्य से है जिसमें बिना किसी शारीरिक संपर्क के किसी बच्चे के साथ यौन प्रकृति की डिजिटल गतिविधियाँ की जाती हैं, जैसे—मोबाइल पर आपत्तिजनक वीडियो दिखाना,बच्चे की रिकॉर्डिंग करना,किसी डिजिटल माध्यम से यौन उत्पीड़न या डराना।यह कृत्य पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत सख्त अपराध माना जाता है।—
🧒 बच्चों की सुरक्षा पर चिंताइस घटना के बाद से स्कूलों, पेरेंट्स और प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है—क्या स्कूल ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों का क्रिमिनल बैकग्राउंड चेक होता है?क्या बच्चों की ट्रांसपोर्ट सुरक्षा को लेकर कोई सीसीटीवी मॉनिटरिंग है?क्या बच्चों को स्कूल में गुड-टच, बैड-टच जैसी बुनियादी सुरक्षा शिक्षा दी जा रही है?—
📢 विशेषज्ञों की रायबाल मनोवैज्ञानिक डॉ. श्वेता वर्मा कहती हैं:> “बच्चे के व्यवहार में किसी भी बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें। बच्चों को संवाद के लिए एक सुरक्षित माहौल देना और उन्हें डिजिटल खतरे समझाना समय की ज़रूरत है।”—
🔐 समाधान और सुझाव:सभी स्कूल वैन ड्राइवरों और सहायकों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।ट्रांसपोर्ट वाहनों में सीसीटीवी और जीपीएस ट्रैकिंग अनिवार्य रूप से लगे हों।स्कूलों में बच्चों के लिए सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।पेरेंट्स बच्चों से रोज़ संवाद करें और उनकी दिनचर्या पर ध्यान दें।—
📌 निष्कर्ष यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा केवल स्कूल या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। डिजिटल अपराध अब सिर्फ इंटरनेट तक सीमित नहीं रहे; ये हमारे बच्चों की दिनचर्या में भी घुसपैठ कर रहे हैं। ऐसे में समय की मांग है कि हर स्तर पर सख्त निगरानी और जवाबदेही तय की जाए।—🏷️ हैशटैग्स:#LucknowNews #ChildSafety #DigitalAbuse #POCSO #StopChildAbuse #SchoolTransportSafety #UPPolice #SaveOurChildren #बालसुरक्षा #लखनऊ_समाचार