इसमें ख़ास तौर पर युवा, महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्र के लोग शामिल थे, जिनके लिए was organized: छोटे व्यवसाय (स्मॉल बिजनेस) स्टार्ट करने के लिए ट्रेनिंग, आर्थिक साक्षरता (financial literacy) ताकि पैसे का समझदारी से उपयोग हो सके सरकारी योजनाओं का जानकारी और लाभ उठाने की प्रक्रिया
मुख्य उद्देश्य (Goal)
- अध्यात्मिक स्वरोजगार को प्रोत्साहन:
ट्रेनिंग द्वारा मदद से लोगों ने अपनी खुद की इनकम स्त्रोत (income source) छोड़ना शुरू किया। - महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना:
उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर समाज में उनकी भूमिका को मजबूत बनाना। - सरकारी योजनाओं से जानकारी पहुँचना:
इससे लोग योजना का लाभ उठा सकें—जैसे लोन, स्कीम्स, सब्सिडी। - स्वयं पर गर्व और आत्म-विश्वास पैदा करना:
जिससे किसी पर निर्भर न रहकर खुद अपना रास्ता बना सकें।
विशेष आकर्षण
प्रैक्टिकल वर्कशॉप्स: जहाँ सीधे व्यापार शुरू करने के टिप्स और तकनीक सिखाई गई
मोटिवेशनल टॉक्स: सफल उद्यमियों ने अनुभव साझा किए—“मैं भी कर सकती हूँ/कर सकता हूँ!” के नारे झंकारते हुए
सरकारी योजनाओं की जानकारी: जैसे स्टार्ट-अप लोन, मुद्रा योजना, ट्रेनिंग सब्सिडी आदि
इसका असर
कई प्रतिभागियों ने अपना छोटा बिज़नेस शुरू किया—चाहे वो स्ट्रीट फ़ूड, ग्रामीण हस्तशिल्प, या ऑनलाइन सर्विस हो
आत्म-निर्भरता की भावना ने उन्हें खुद पर भरोसा देना शुरू कर दिया
सरकारी योजनाओं को सही तरीके से समझ कर अधिकतर लोगों ने मदद और सब्सिडी हासिल की
किस तरह आगे बढ़े?
सरकार और स्थानीय संस्थाएँ चाहिए कि:
ऐसे प्रोग्राम को धरातल पर फैलाएं, खासकर गांवों में
फ़ॉलो-अप सपोर्ट दें—फंडिंग, मार्केटिंग, मेंटॉरशिप
महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष स्कीम्स तैयार हों
निष्कर्ष
स्वालंबिनी योजना (7 फरवरी 2025) आत्मनिर्भर भारत की ओर एक मजबूत कदम है।
यह सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि विश्वास जानऊ, ज्ञान और उत्साह देने वाली पहल भी है।