प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 जुलाई से 9 जुलाई तक आठ दिनों के लिए पांच देशों—घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया—की यात्रा पर हैं। यह मोदी की पिछले दस वर्षों में अब तक की सबसे लंबी राजनयिक दौरा है, जिसका मकसद ग्लोबल साउथ में भारत के प्रभाव को बढ़ाना और अटलांटिक क्षेत्र में गठबंधन को मजबूत बनाना है ।
🇬🇭 पहला पड़ाव: घाना (2–3 जुलाई)
घाना की संसद में भाषण और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व विकास सहयोग पर चर्चा।
घाना को अफ्रीकी महाद्वीप में रणनीतिक साझेदार के रूप में रेखांकित किया गया ।
🇹🇹 दूसरा पड़ाव: त्रिनिदाद और टोबैगो (3–4 जुलाई)
देश की संसद को संबोधित करेंगे।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भेंट, द्विपक्षीय सांस्कृतिक-आर्थिक संबंधों को फिर से पुष्ट करना—180 वर्ष पूर्व देश में पहले भारतीय आगमन की स्मृति में विशेष महत्व ।
🇦🇷 तीसरा पड़ाव: अर्जेंटीना (4–5 जुलाई)
यह भारत के किसी प्रधानमंत्री द्वारा अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, पिछले 57 वर्षों में पहला मौका ।
कृषि, ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी व महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग बढ़ाने की योजना।
🇧🇷 चौथा पड़ाव: ब्राज़ील (5–8 जुलाई)
रियो डी जनेरियो में BRICS 17वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लुला दा सिल्वा से द्विपक्षीय बैठकें—ग्लोबल साउथ को एकजुट करने पर विशेष जोर ।
🇳🇦 अंतिम पड़ाव: नामीबिया (8–9 जुलाई)
नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए भारत-नामीबिया गठबंधन को नए शिखर पर ले जाने की योजना।
केंद्रीय मुद्दे: उपनिवेशवाद विरोधी साझा इतिहास, डिजिटल भुगतान (UPI विस्तार) और सामुदायिक विकास ।
संकलित उद्देश्य & रणनीति
- ग्लोबल साउथ के साथ संबंधों को सुदृढ़ बनाना
- दो-और बहुपक्षीय प्लेटफार्मों (BRICS, AU, CARICOM आदि) में भारत की सक्रिय भूमिका
- व्यापार, ऊर्जा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और निवेश में नई राहें खोलना
- इतिहासात्मक व सांस्कृतिक संबंधों की याद दिलाकर लोगों की कूटनीति को बल देना ।
आगामी माहौल और संभावित परिणाम
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौतों में विस्तार।
ऊर्जा सुरक्षा और हरित ऊर्जा सहयोग में नए सहयोग।
डिजिटल भुगतान प्रणाली को नए देशों तक पहुँचाना (जैसे नामीबिया में UPI)।
भारत की उपस्थिति और साख को ग्लोबल साउथ में बढ़ावा मिलना तय।