नई दिल्ली, 5 जून 2025: चीन द्वारा अप्रैल 2025 से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हलचल मचा दी है। ये खनिज, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों और उच्च तकनीक उद्योगों में होता है, भारत और विश्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन वैश्विक स्तर पर लगभग 93% दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट का उत्पादन करता है, और इस प्रतिबंध से भारत की ऑटोमोटिव और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में गंभीर चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं।
भारत, जो पिछले वर्ष चीन से 460 टन दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट आयात करता था, अब आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रतिबंध से भारत का इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग, विशेष रूप से टाटा जैसे प्रमुख निर्माता, प्रभावित हो सकते हैं। उत्पादन में रुकावट और लागत में वृद्धि की आशंका ने उद्योग जगत में चिंता बढ़ा दी है।
वैश्विक स्तर पर, यह कदम आपूर्ति श्रृंखला को हथियार बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जैसा कि कुछ देशों द्वारा अर्धचालकों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों में देखा गया है। भारत में स्थानीय स्तर पर नियोडिमियम मैग्नेट बनाने के प्रयासों को भी इस प्रतिबंध ने झटका दिया है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अवसर हो सकता है। सरकार और निजी क्षेत्र अब वैकल्पिक स्रोतों और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं। फिर भी, निकट भविष्य में उद्योगों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
चीन के इस कदम को भारत द्वारा चीनी उत्पादों, जैसे हुआवेई और टिकटॉक, पर लगाए गए प्रतिबंधों और ऊंचे टैरिफ के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। वैश्विक व्यापार में यह नया तनाव भू-राजनीतिक संबंधों को और जटिल कर सकता है।
इस बीच, उद्योग विशेषज्ञ और नीति निर्माता इस संकट से निपटने के लिए रणनीति बना रहे हैं। भारत सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाएगी।